कालसर्प शांती

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

कालसर्प शांती क्या है?

राह केतु के बीच में जब सभी ग्रह फस जातें हें तब 'कालसर्प' नामक जहरिला योग बन जाता हैं |रा्हु मतलब सांप का मूहं | केतु मतलब सांप का बाकि शरिर | राहु केतु सांप बनकर सभी ग्र्हों को निगलते हैं | यहि से जीवन में तकलिफें शुरु होती हैं और बस यहि से कालसर्प दोश आदमी को पिचे खिचता हैं| समाज मे अपना नाम बदनाम करता हैं| शादी ब्याह मे रुकावटे डालता हैं| कालसर्प दोष मतलब सभी सफलता के रास्तों को बंद करना|

कालसर्प शांती क्यों करनी चाहिये?

हमे पता चलता है की हमे 'कालसर्प दोष' है, मगर हम नजरअंदाज करते है और तकलिफें बढती जाती हैं| जीवन मे सफलता पानें के लिये, दुनिया मे अपना नाम कमाने के लिये, पहचान बनाने के लिये, अपनी ई्च्छा - मनोकामना पुर्ण करने के लिये कालसर्प पूजा करनि चाहिये| अपना जीवन सु्धारने का अधिकार सभी को है, तो जब भी पता चले तब तुरंत पूजा कर ले|

कालसर्प शांती कौन कर सकता है?

जिस व्यक्ति के कुंडली में कालसर्प योग है, उसे खुद पूजा में बैठना चहिये| अगर एक बहुत ही छोटा बच्चे की कुंडली में कालसर्प योग है तो उसके माता-पिता को यह पूजा करनी चाहिए। यदि आपकी कड़ी मेहनत आपको वांछित फलों को नहीं देती है तो यह पूजा करना चाहिए।

कालसर्प शांती पूजा करने के लाभ

कालसर्प शांती करने से नागों के ९ कुलोंक आशिव्राद मिलता हैं| साथ में राहु - केतू पूजन करने से सफलता के द्वार खुल जाते हैं| सोने के नाग (भुजंग) की पूजा करने से लक्ष्मी कि प्राप्ति होति है| शापित लक्ष्मी से मुक्ति मिलती है| अपना पैसा सहि जगह पे खर्च होने लगता हैं| मन से अंजान डर खत्म होता हैं|मन को प्रसन्नता मिलति हैं| मन मे अच्छे विचार आने से सोच बदलती हैं| समाज में इज्जत मिलति है| इससे काम धंदे मे सफलता मिलती है| पारिवारीक संबंध सुधरने लगते हैं| पूज करने से भूतबाधा, पिशाचबाधा से हमारी रक्षा होती है| माता - पिता, बडे बुजुर्ग लोगों की अपने हाथ से सेवा होने लगती है| नाग पूज से नाग से प्रति डर खतम होने लगता है| श्रद्धा भाव मन में उत्तपन्न होने लगता है|नाग भगवान स्वरुप लगने लगते है| बूरी नजर उतर जाती है| अच्छा आरोग्य मिलता है| जीवन मे हर काम में गती मिलने से जीवन सफल हो जाता है|

महत्वपूर्ण निर्देश

पूजा अनुसूची

कालसर्प शांती १ दिन में कि जाती है|
कृपया मुहर्त के एक दिन पहले सभी लोग श्याम ६ बजे तक पहुच जाये |
पूजा अवधि : २-३ घंटे

पूजा के लिए की जाने वाली तैयारी

भक्तों को पवित्र कुशावर्त कुंड में स्नान करना होगा
पूजा के दिन भक्तों को उपवास करना होगा

निवास और भोजन

त्र्यंबकेश्वर में अच्छे होटलों में भोजन और रहने की सुविधा उपलब्ध है
भोजन और रहने का अलग से शुल्क लिया जाएगा और पूजा शुल्क से अलग होगा |

वस्त्र

पुरुषों के लिए : धोती, गमछा या कुर्ता पायजामा
महिलाओं के लिए : साड़ी या पंजाबी पोशाक
पूजा के लिए काले और हरे रंग के कपड़े नही पहनने है

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+९१ ९४२३९ १२४१६

नारायण नागबली

अपने खानदान में ७ पीढ़ी मे जो लोग गुजरे हं उन्हें मोक्श प्राप्ती देने के लिये होनेवाला क्रियाकर्म - पिंडदान मतलब 'नारायण नागबली पूजा' सती के समशान भुमी में होती हैं| आदमी मरने के बाद पहले दिन से चौदावे दिन तक जो भी क्रियार्म होते है वो इस किये जाते है

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त्रिपिंडी श्राध्द

त्रिपिंडी मतलब ३ पिढियों का पिंडदान| हमारे खादान में ३ पिढिओं में बाल्य अवस्था, युवा अवस्था य व्रुद्ध अवस्था में किसी की म्रुत्यु हुई हो तो तो उनकी आत्मायें प्रेत्योनी में चली जाती है|फिर वो हमे पिडा देने लगती है| तो उन आत्माओं को गती मिलने के लिये त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है|

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नक्षत्र शांति

पंचांग के अनुसार हिंदु धर्म मे २७ नक्षत्र बताये हैं| इस मे कुछ शुभ फल देते है तो कुछ अशुभ फल देते है| जो अशुभ नक्षत्र है उनकी शांती करना जरूरी होता है|



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